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नई दिल्ली , IPL में पिछले कई वर्षों से ऑलराउंडर्स ही टीम को चैंपिंयन बनाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। चाहे वह पिछले सीजन केकेआर को विजेता बनाने वाले सुनील नरेन (488 रन,17 विकेट) हों या फिर साल 2023 में चेन्नई को आखिरी दो गेंदों में 10 रन बनाकर पांचवीं ट्रॉफी दिलाने वाले रवींद्र जडेजा।

हालांकि, मौजूदा सीजन ने काफी हद तक ऑलराउंडर्स के महत्व को खत्म कर दिया है। पिछले सीजन में 100+ रन और 10+ विकेट वाले खिलाड़ियों की संख्या मौजूदा सीजन की तुलना में चार गुना अधिक थी।

सीजन में इस आंकड़े तक केवल दो खिलाड़ी ही पहुंच सके हैं। इनमें केकेआर के नरेन और मुंबई इंडियंस के हार्दिक शामिल हैं। पिछले सीजन में आठ खिलाड़ियों ने 100 से ज्यादा रन बनाने के साथ-साथ 10 या उससे ज्यादा विकेट हासिल किए थे। इसका इम्पैक्ट इसी बात से समझा जा सकता है कि पिछली बार की चैम्पियन कोलकाता ही एक ऐसी टीम थी, जिनके दो खिलाड़ियों नरेन और रसेल ने ऐसा किया था।

ऑलराउंडर्स की भूमिका कम होने का कारण है इम्पैक्ट प्लेयर नियम

  • आईपीएल में ऑलराउंडर्स की भूमिका कम होने का सबसे बड़ा कारण इम्पैक्ट प्लेयर नियम रहा है। इस नियम से टीमें 11 के बजाए 12 खिलाड़ियों के साथ मैदान पर उतरती हैं।
  • वे अपनी जरूरत के अनुसार प्लेइंग-11 के किसी भी खिलाड़ी की जगह किसी भी बल्लेबाज या फिर गेंदबाज को मैदान में उतार सकती हैं।
  • इसलिए टीमें किसी पार्ट टाइम गेंदबाज और बल्लेबाज के बजाए नियमित बल्लेबाज या फिर गेंदबाज को चुनना पसंद करती हैं।

क्या कहती हैं टीमें राजस्थान रॉयल्स के हेड कोच राहुल द्रविड़ का कहना है कि यह नियम ऑलराउंडर्स की ग्रोथ को प्रभावित करता है। पहले केवल 11 खिलाड़ियों के होने से कुछ खिलाड़ियों को अलग-अलग परिस्थितियों में बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने के अधिक मौके मिलते थे। लेकिन इम्पैक्ट प्लेयर नियम ने कुछ हद तक इसे बदल दिया है।

मुंबई इंडियंस के हेड कोच महेला जयवर्धने का कहना है कि इम्पैक्ट प्लेयर नियम से आप टीम में एक पूर्ण ऑलराउंडर को शामिल कर सकते हैं। लेकिन अन्य ऑलराउंडर्स खेल से बाहर हो जाते हैं क्योंकि टीम मैच के बीच एक संपूर्ण बल्लेबाज या गेंदबाज शामिल कर लेती है।