नई दिल्ली, साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम ने ‘चोकर्स’ का दाग आखिरकार हटाकर ‘वर्ल्ड चैंपियन’ का टैग हासिल कर लिया। हटाया भी कैसे, तीनों फॉर्मेट में 8 बार की वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को ‘होम ऑफ क्रिकेट’ द लॉर्ड्स में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का फाइनल हराकर। कप्तान टेम्बा बावुमा, बैटर ऐडन मार्करम और पेसर कगिसो रबाडा ने ऐतिहासिक जीत की इबारत लिखी।
1991 में 22 साल बैन के बाद क्रिकेट में वापसी करने वाले साउथ अफ्रीका ने इससे पहले तीनों फॉर्मेट के अलग-अलग वर्ल्ड कप में 1 फाइनल और 7 सेमीफाइनल गंवाए थे। WTC से पहले टीम की इकलौती ICC ट्रॉफी भी 1998 में चैंपियंस ट्रॉफी के रूप में आई। इस टूर्नामेंट में भी टीम ने 5 सेमीफाइनल गंवा दिए। 27 साल तक लगातार हार के बाद साउथ अफ्रीका को अब जाकर किसी ICC टूर्नामेंट को जीतने की खुशी मिली।
1991 में साउथ अफ्रीका की वापसी हुई
1970 तक साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम में सिर्फ श्वेत खिलाड़ियों को मौका मिलता था। साउथ अफ्रीका उन टीमों के खिलाफ कोई मैच नहीं खेलता था जिनमें एक भी अश्वेत खिलाड़ी हो। इसलिए वह भारत, वेस्टइंडीज, पाकिस्तान जैसी टीमों से नहीं खेलता था। साउथ अफ्रीका की रंगभेद नीति का भारत और वेस्टइंडीज ने कड़ा विरोध किया और अफ्रीका पर 22 साल का बैन लग गया। यह बैन 1991 में तय समय से करीब एक साल पहले हटा। इसके बाद साउथ अफ्रीका ने सबसे पहले भारत का ही दौरा किया।
1992 में साउथ अफ्रीका ने पहली बार किसी ICC टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। तब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की मेजबानी में हुए वनडे वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका सेमीफाइनल तक पहुंचा। सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका को बारिश के अटपटे नियम की वजह से हार गया।